USDT P2P ट्रांजैक्शन के कारण साइबर सेल द्वारा बैंक अकाउंट फ्रीज़ – समाधान और कानूनी उपाय

ऐसी स्थिति में साइबर सेल या पुलिस संबंधित बैंक को निर्देश देकर अकाउंट को फ्रीज़ (Lien Mark) करवा देती है। इससे अकाउंट होल्डर को अपने ही पैसों तक पहुंच नहीं मिल पाती, भले ही वह निर्दोष हो।
इस ब्लॉग में हम समझेंगे कि USDT P2P ट्रांजैक्शन के कारण फ्रीज़ हुए बैंक अकाउंट को कैसे अनफ़्रीज़ कराया जा सकता है।
बैंक अकाउंट क्यों फ्रीज़ होता है?
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साइबर फ्रॉड मनी ट्रेस होना – अगर धोखाधड़ी का पैसा P2P डील के माध्यम से आपके अकाउंट से गुज़रा हो।
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धारा 102 दंप्रसं (CrPC Section 102) – पुलिस जांच के दौरान संदिग्ध अकाउंट को सीज़ कर सकती है।
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FIR या शिकायत पर कार्रवाई – यदि किसी पीड़ित ने ऑनलाइन फ्रॉड की रिपोर्ट की हो और पैसा आपके ट्रांजैक्शन से जुड़ा हो।
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क्रिप्टो ट्रांजैक्शन की अस्पष्टता – क्रिप्टो रेग्युलेशन की कमी के कारण पुलिस अक्सर अकाउंट को प्रिवेंटिव एक्शन के रूप में फ्रीज़ कर देती है।
अकाउंट अनफ़्रीज़ कराने की कानूनी प्रक्रिया
1. बैंक और साइबर सेल से जानकारी लें
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सबसे पहले अपने बैंक से लिखित में पूछें कि अकाउंट क्यों फ्रीज़ हुआ।
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शिकायत नंबर, FIR नंबर और पुलिस रिक्वेस्ट लेटर प्राप्त करें।
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साइबर सेल से लिखित जानकारी और डॉक्यूमेंट्स लें।
2. साइबर सेल को आवेदन दें
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एक लिखित आवेदन देकर बताएं कि आपका P2P ट्रांजैक्शन वैध था।
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क्रिप्टो एक्सचेंज (Binance/WazirX) से ट्रांजैक्शन हिस्ट्री और KYC रिपोर्ट डाउनलोड करें।
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बैंक स्टेटमेंट और चैट/डील का स्क्रीनशॉट सबूत के तौर पर जमा करें।
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यदि साइबर सेल संतुष्ट हो जाती है, तो वह बैंक को NOC (No Objection Certificate) भेज सकती है।
3. मजिस्ट्रेट कोर्ट में आवेदन (धारा 451/457 दंप्रसं)
अगर साइबर सेल से राहत नहीं मिलती तो मजिस्ट्रेट कोर्ट में एप्लिकेशन दाखिल करना होगा।
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एप्लिकेशन में अकाउंट डिटेल, P2P ट्रांजैक्शन का विवरण और निर्दोषता का हलफ़नामा दें।
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कोर्ट पुलिस और बैंक से रिपोर्ट मंगवाकर आदेश पारित कर सकता है।
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आदेश मिलने पर बैंक अकाउंट तुरंत अनफ़्रीज़ करता है।
4. हाई कोर्ट में रिट याचिका (Article 226)
यदि मजिस्ट्रेट कोर्ट से भी राहत नहीं मिलती है, या अकाउंट लंबे समय तक फ्रीज़ रहता है, तो आप हाई कोर्ट में रिट याचिका दाखिल कर सकते हैं।
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हाई कोर्ट आपके मौलिक अधिकार (अनुच्छेद 21 – जीवन और जीविका का अधिकार) की रक्षा करते हुए राहत दे सकता है।
ज़रूरी दस्तावेज़
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FIR/शिकायत की कॉपी (यदि उपलब्ध हो)
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बैंक अकाउंट डिटेल और फ्रीज़ नोटिस
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Binance/WazirX या अन्य एक्सचेंज की ट्रांजैक्शन हिस्ट्री
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खरीदार/विक्रेता की KYC डिटेल (यदि उपलब्ध हो)
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पहचान और पते का प्रमाण
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निर्दोषता का हलफ़नामा (Affidavit)
वकील की भूमिका
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साइबर सेल और बैंक के सामने मज़बूत आवेदन तैयार करना
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ट्रांजैक्शन की वैधता साबित करना
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मजिस्ट्रेट कोर्ट और हाई कोर्ट में पैरवी करना
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प्रक्रिया को तेज़ और प्रभावी बनाना
सावधानियां
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P2P डील करते समय केवल KYC वेरिफाइड यूज़र्स से ही लेन-देन करें।
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हमेशा ट्रांजैक्शन का पूरा रिकॉर्ड रखें।
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संदिग्ध या अज्ञात यूज़र्स से पेमेंट स्वीकार न करें।
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बैंक अकाउंट को पर्सनल और बिज़नेस ट्रांजैक्शन के हिसाब से अलग रखें।
यदि आपका बैंक अकाउंट USDT P2P ट्रांजैक्शन के कारण फ्रीज़ हो गया है, तो घबराने की ज़रूरत नहीं है। पहले साइबर सेल को आवेदन देकर अपने ट्रांजैक्शन की वैधता साबित करें। यदि वहां से समाधान न मिले तो मजिस्ट्रेट कोर्ट और ज़रूरत पड़ने पर हाई कोर्ट में याचिका दायर करके अकाउंट को अनफ़्रीज़ करवाया जा सकता है।
एक अनुभवी साइबर क्राइम वकील की मदद से आप अपने अधिकारों की रक्षा कर सकते हैं और अपने पैसे तक पहुंच वापस पा सकते हैं।
Disclaimer
यह ब्लॉग केवल जानकारी देने के उद्देश्य से है, इसे किसी भी प्रकार की कानूनी सलाह न समझा जाए। हम किसी प्रकार का विज्ञापन या क्लाइंट की सॉलिसिटेशन का कार्य नहीं कर रहे हैं। यदि आप साइबर क्राइम के शिकार हैं, तो तुरंत नेशनल साइबर क्राइम हेल्पलाइन (1930) पर संपर्क करें और www.cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज करें।