आज के डिजिटल युग में साइबर अपराध तेजी से बढ़ रहा है, और इसके साथ ही एक नया डर लोगों के बीच फैल रहा है—डिजिटल अरेस्ट।
यह एक ऐसा मामला होता है जिसमें किसी को बिना गिरफ्तार किए, केवल डिजिटल सबूतों के आधार पर उसकी बैंक अकाउंट फ्रीज़, पुलिस नोटिस, या जांच में सम्मन भेज दिया जाता है। बहुत से लोग इस स्थिति में फँस जाते हैं, जबकि उन्होंने कोई अपराध जानबूझकर नहीं किया होता।
इस ब्लॉग में हम विस्तार से बताएंगे:
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डिजिटल अरेस्ट क्या होता है
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ये किस वजह से होता है
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इसके अंतर्गत आने वाले नए साइबर अपराध
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लागू कानूनी धाराएं (BNS 2023 और IT Act के तहत)
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इससे कैसे बचें
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बैंक अकाउंट फ्रीज़ होने पर क्या करें
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अगर आपके खाते में फ्रॉड पैसा आया है तो उसे कैसे हैंडल करें
डिजिटल अरेस्ट क्या है? (What is Digital Arrest)
डिजिटल अरेस्ट एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें किसी व्यक्ति के खिलाफ साइबर अपराध की जांच केवल ऑनलाइन लेनदेन या डिजिटल गतिविधियों के आधार पर शुरू होती है।
इसमें व्यक्ति को:
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पुलिस नोटिस (CrPC 41A) मिल सकता है
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बैंक अकाउंट फ्रीज़ कर दिया जाता है
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FIR दर्ज होती है
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या डिजिटल सबूतों के आधार पर पूछताछ के लिए बुलाया जा सकता है
👉 ध्यान दें: इसमें फिजिकल गिरफ्तारी नहीं होती, लेकिन कानूनी असर और मानसिक तनाव बहुत गंभीर होता है।
डिजिटल अरेस्ट के सामान्य कारण (Common Triggers of Digital Arrest)
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Crypto P2P लेनदेन
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आपने Binance/OKX जैसे प्लेटफॉर्म पर क्रिप्टो बेचा, लेकिन पैसा स्कैम वाले खाते से आया।
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Telegram Task या Investment Scam
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आपने कोई Task App से पैसे कमाए, किसी और को रेफर किया और उस व्यक्ति ने पैसे खो दिए → आपको आरोपी बना दिया गया।
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KYC डिटेल्स का गलत उपयोग
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आपने PAN या Aadhaar किसी को भेजा और उन्होंने उसका गलत इस्तेमाल कर लिया।
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Freelance Withdrawal या Fund Transfer
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किसी के कहने पर पैसे अपने खाते में लेकर निकाल दिए—बाद में वो पैसा फ्रॉड निकला।
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Fake Cashback / Lottery Scam
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आपके खाते में “कब्जा” कर लिया गया किसी स्कैम के पैसे से।
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डिजिटल अरेस्ट से संबंधित कानूनी धाराएं (Legal Sections Applicable)
Bharatiya Nyaya Sanhita (BNS) 2023 के तहत:
धारा | विवरण |
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318(4) | धोखाधड़ी से डिजिटल माध्यम द्वारा धन प्राप्त करना |
319(2) | जाली दस्तावेज़ों के डिजिटल इस्तेमाल से धोखा देना |
340(2) | डिजिटल पहचान के साथ छेड़छाड़ करना |
336(3)/(4) | गलत जानकारी से वित्तीय लाभ लेना |
Information Technology Act, 2000 के तहत:
धारा | विवरण |
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66D | इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से किसी और की पहचान बनाकर धोखा देना |
66C | किसी की डिजिटल पहचान चोरी करना (PAN, Aadhaar, आदि) |
43 / 66 | कंप्यूटर सिस्टम के माध्यम से अनधिकृत कार्य करना |
अन्य धाराएं:
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CrPC Section 41A – गिरफ्तारी से पहले नोटिस
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IPC 420 (धोखाधड़ी) – पुरानी FIRs में अभी भी इस्तेमाल हो रही है
डिजिटल अरेस्ट से कैसे बचें? (How to Stay Safe)
✅ क्या करें (DOs):
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KYC डॉक्युमेंट्स सिर्फ विश्वसनीय प्लेटफॉर्म पर शेयर करें
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Telegram या WhatsApp पर आने वाले “tasks” और “investment” स्कीम से दूर रहें
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सभी लेन-देन का स्क्रीनशॉट और रिकॉर्ड रखें
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अगर आपकी ID या खाता गलत तरीके से इस्तेमाल हुआ है तो तुरंत पुलिस को रिपोर्ट करें
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बैंक से OTP या SMS अलर्ट चालू रखें
❌ क्या न करें (DON’Ts):
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किसी अनजान व्यक्ति के लिए पैसे न लें या न भेजें
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बिना KYC चेक किए क्रिप्टो में P2P लेनदेन न करें
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PAN या Aadhaar किसी को WhatsApp/Telegram पर न भेजें
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Free cashback, lottery या “earn ₹5000/day” जैसे झूठे ऑफर पर भरोसा न करें
अगर बैंक अकाउंट फ्रीज़ हो गया हो तो क्या करें? (If Your Account is Frozen)
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घबराएं नहीं, यह गिरफ्तारी नहीं है बल्कि जांच की प्रक्रिया है
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साइबर क्राइम पोर्टल पर शिकायत दर्ज करें – www.cybercrime.gov.in
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बैंक के नोडल ऑफिसर को ईमेल भेजें
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FIR या Freeze Letter की कॉपी लें और उसकी कानूनी भाषा में उत्तर भेजें
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कोर्ट के माध्यम से खाते को अनफ्रीज़ करने के लिए अर्जी लगाएं
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यदि आपके खिलाफ गलत FIR दर्ज हुई है, तो हाई कोर्ट में FIR quashing की याचिका डाल सकते हैं
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जरूरत पड़े तो जमानत (Anticipatory Bail) के लिए आवेदन करें
अगर आपके खाते में फ्रॉड का पैसा आ गया हो तो क्या करें? (What If Fraud Money Came to Your Account?)
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तुरंत पुलिस में स्व-प्रेरणा से रिपोर्ट करें
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अपने लेन-देन का पूरा रिकॉर्ड पेश करें
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बताएँ कि आप कैसे जुड़े, किस माध्यम से पैसे आए
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अगर आपने पैसे लौटा दिए हैं, तो उसका बैंक स्लिप या स्क्रीनशॉट लगाएं
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जांच में पूरा सहयोग करें – इससे आपकी मंशा साफ होगी
निष्कर्ष (Conclusion)
डिजिटल अरेस्ट एक आधुनिक साइबर अपराध जांच प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति को फँसाया जा सकता है—भले ही उसने अपराध जानबूझकर नहीं किया हो। लेकिन जानकारी, सतर्कता और समय पर कार्रवाई से इससे बचा जा सकता है।
अगर आप डिजिटल ट्रांजेक्शन, क्रिप्टो, या ऑनलाइन फ्रीलांसिंग में सक्रिय हैं तो आपको यह समझना जरूरी है कि आपकी डिजिटल उपस्थिति कानूनी रूप से आपके खिलाफ इस्तेमाल हो सकती है।
सावधानी ही सुरक्षा है। जानकारी ही बचाव है।
डिस्क्लेमर:
यह लेख केवल जानकारी के लिए है और इसे किसी कानूनी सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। प्रत्येक मामला भिन्न होता है। कृपया किसी योग्य अधिवक्ता से व्यक्तिगत परामर्श अवश्य लें।