भारत में डिजिटल पेमेंट और ऑनलाइन गेमिंग का चलन तेज़ी से बढ़ रहा है। लाखों लोग रोज़ाना मोबाइल ऐप्स और गेमिंग वेबसाइट्स पर UPI, कार्ड या नेट बैंकिंग से पेमेंट करते हैं। लेकिन कई बार ऑनलाइन गेमिंग पेमेंट साइबर फ्रॉड के मामलों में संदेह के घेरे में आ जाते हैं। पुलिस या साइबर सेल ऐसे मामलों में बैंक को निर्देश देकर संबंधित अकाउंट को फ्रीज़ (Lien Mark) करवा देती है।
यह प्रक्रिया असली अपराधियों को पकड़ने के लिए ज़रूरी है, लेकिन कई बार निर्दोष लोगों के खाते भी फ्रीज़ हो जाते हैं। ऐसी स्थिति में व्यक्ति अपने ही पैसों तक पहुंच नहीं बना पाता और रोज़मर्रा की ज़िंदगी प्रभावित होती है।
इस ब्लॉग में हम समझेंगे कि अगर आपका बैंक अकाउंट ऑनलाइन गेम पेमेंट की वजह से फ्रीज़ हो गया है, तो उसे अनफ़्रीज़ कराने के लिए क्या कानूनी प्रक्रिया अपनानी चाहिए।
बैंक अकाउंट क्यों फ्रीज़ होता है?
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साइबर फ्रॉड शिकायत पर कार्रवाई – अगर किसी व्यक्ति ने शिकायत की कि उसके साथ धोखाधड़ी हुई है और वह पैसा आपके अकाउंट में ट्रेस हुआ।
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ऑनलाइन गेमिंग ट्रांजैक्शन – संदिग्ध गेमिंग एप्स या अनधिकृत पेमेंट गेटवे से की गई लेन-देन पर शक।
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पुलिस जांच (धारा 102 दंप्रसं) – जांच के दौरान पुलिस को अधिकार है कि वह किसी भी अकाउंट को सीज़ करे।
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कोर्ट का आदेश – मजिस्ट्रेट या हाई कोर्ट जांच को आसान बनाने के लिए अकाउंट को फ्रीज़ करवा सकता है।
अकाउंट अनफ़्रीज़ कराने की प्रक्रिया
1. बैंक और साइबर सेल से जानकारी लें
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सबसे पहले अपने बैंक से लिखित में कारण पूछें।
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शिकायत नंबर, FIR नंबर और पुलिस की रिक्वेस्ट लेटर की कॉपी प्राप्त करें।
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साइबर सेल से भी लिखित जानकारी लें।
2. साइबर सेल को आवेदन दें
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लिखित आवेदन देकर बताएं कि आप निर्दोष हैं और ट्रांजैक्शन केवल ऑनलाइन गेम के लिए किया था।
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सबूत के रूप में गेमिंग इनवॉइस, UPI/कार्ड रसीद और बैंक स्टेटमेंट जमा करें।
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यदि साइबर सेल संतुष्ट हो जाती है, तो वह बैंक को NOC (No Objection Certificate) जारी कर सकती है।
3. मजिस्ट्रेट कोर्ट में एप्लिकेशन दाखिल करें (धारा 451/457 दंप्रसं)
अगर साइबर सेल से राहत नहीं मिलती, तो आपको मजिस्ट्रेट कोर्ट में आवेदन करना होगा।
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आवेदन में अकाउंट डिटेल, पेमेंट का ब्यौरा और आर्थिक कठिनाई का ज़िक्र करें।
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कोर्ट पुलिस और बैंक दोनों से रिपोर्ट मंगाकर आदेश पारित करता है।
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आदेश मिलने पर बैंक तुरंत अकाउंट को अनफ़्रीज़ कर देता है।
4. हाई कोर्ट में रिट याचिका (अनुच्छेद 226)
अगर मजिस्ट्रेट कोर्ट से भी राहत नहीं मिलती या फ्रीज़िंग मनमानी ढंग से की गई है, तो आप हाई कोर्ट में रिट याचिका दाखिल कर सकते हैं।
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हाई कोर्ट आपके मौलिक अधिकार (अनुच्छेद 21 – जीवन और जीविका का अधिकार) का हवाला देकर अकाउंट को अनफ़्रीज़ करने का आदेश दे सकता है।
अकाउंट अनफ़्रीज़ कराने के लिए ज़रूरी दस्तावेज़
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बैंक अकाउंट डिटेल और फ्रीज़/लीन नोटिस
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FIR या शिकायत की कॉपी
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ऑनलाइन गेम पेमेंट का सबूत (UPI/कार्ड/बैंक स्टेटमेंट)
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पहचान और पते का प्रमाण
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निर्दोषता का हलफ़नामा (Affidavit)
वकील की भूमिका
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साइबर सेल और बैंक के सामने मज़बूत आवेदन तैयार करना
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कोर्ट में एप्लिकेशन दाखिल करना और पैरवी करना
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सबूतों के आधार पर यह साबित करना कि ट्रांजैक्शन गेमिंग पेमेंट से जुड़ा था, न कि धोखाधड़ी से
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पूरी प्रक्रिया को तेज़ और प्रभावी बनाना
सावधानियां
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हमेशा केवल विश्वसनीय और अधिकृत गेमिंग ऐप्स पर ही पेमेंट करें।
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अज्ञात स्रोतों से अकाउंट में आने वाले पैसे तुरंत बैंक और साइबर सेल को रिपोर्ट करें।
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बड़े लेन-देन का पूरा सबूत (इनवॉइस, रिसीट) रखें।
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निजी अकाउंट को हाई-रिस्क ट्रांजैक्शन्स (जैसे क्रिप्टो P2P डील) के लिए इस्तेमाल न करें।
अगर आपका बैंक अकाउंट ऑनलाइन गेम पेमेंट के कारण फ्रीज़ हो गया है, तो घबराने की बजाय कानूनी प्रक्रिया अपनाना ज़रूरी है। पहले बैंक और साइबर सेल से जानकारी लें और वहां आवेदन करें। यदि वहां से समाधान नहीं मिलता तो मजिस्ट्रेट कोर्ट और ज़रूरत पड़ने पर हाई कोर्ट में आवेदन करके अकाउंट को अनफ़्रीज़ करवाया जा सकता है।
एक अनुभवी साइबर क्राइम वकील की मदद से यह प्रक्रिया और भी तेज़ और प्रभावी हो सकती है।
Disclaimer
यह ब्लॉग केवल जानकारी देने के उद्देश्य से है, इसे किसी भी प्रकार की कानूनी सलाह न समझा जाए। हम किसी प्रकार का विज्ञापन या क्लाइंट की सॉलिसिटेशन का कार्य नहीं कर रहे हैं। यदि आप साइबर क्राइम के शिकार हैं, तो तुरंत नेशनल साइबर क्राइम हेल्पलाइन (1930) पर संपर्क करें और www.cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज करें।